डा. एस.आर. रंगनाथन, जिन्हें "पुस्तकालय विज्ञान के जनक" के रूप में जाना जाता है, एक प्रसिद्ध भारतीय पुस्तकालयाध्यक्ष और शिक्षाविद थे। उनका जन्म 12 अगस्त 1892 को तमिलनाडु के शियाली में हुआ था. रंगनाथन ने गणित में स्नातक और स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की, लेकिन बाद में पुस्तकालय विज्ञान में अपना करियर बनाया. उन्होंने पुस्तकालय विज्ञान के पांच नियमों और कोलन वर्गीकरण प्रणाली को विकसित किया, जो पुस्तकालय विज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान हैं.
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा: एस.आर. रंगनाथन का जन्म 12 अगस्त 1892 को तमिलनाडु के शियाली में हुआ था. उन्होंने मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज से गणित में बीए और एमए की डिग्री प्राप्त की. 1917 में, उन्होंने शिक्षण लाइसेंस प्राप्त किया और गणित के प्रोफेसर के रूप में काम करना शुरू किया.
पुस्तकालय विज्ञान में योगदान: 1924 में, रंगनाथन मद्रास विश्वविद्यालय के पहले पुस्तकालयाध्यक्ष बने. उन्होंने पुस्तकालय विज्ञान के पांच नियमों को विकसित किया, जो पुस्तकालयों के संचालन के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत हैं. उन्होंने कोलन वर्गीकरण प्रणाली को विकसित किया, जो पुस्तकालयों में पुस्तकों को वर्गीकृत करने का एक तरीका है. उन्होंने पुस्तकालय विज्ञान पर कई पुस्तकें और लेख लिखे, जिनमें "पुस्तकालय विज्ञान के पांच नियम" (1931) शामिल हैं. रंगनाथन को 1957 में भारत सरकार द्वारा पद्म श्री से सम्मानित किया गया था.
अन्य महत्वपूर्ण योगदान: रंगनाथन ने दिल्ली विश्वविद्यालय में पुस्तकालय विज्ञान के स्नातक, स्नातकोत्तर और डॉक्टरेट कार्यक्रम शुरू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्होंने बैंगलोर में प्रलेखन अनुसंधान और प्रशिक्षण केंद्र (DRTC) की स्थापना में भी सक्रिय रूप से योगदान दिया. रंगनाथन को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी मान्यता मिली और वे अंतर्राष्ट्रीय प्रलेखन महासंघ (FID) के वर्गीकरण अनुसंधान समूह के अध्यक्ष रहे.
मृत्यु: एस.आर. रंगनाथन का 27 सितंबर 1972 को बैंगलोर में निधन हो गया.
विरासत: एस.आर. रंगनाथन को भारत में पुस्तकालय विज्ञान के जनक के रूप में जाना जाता है. उनके योगदान ने पुस्तकालय विज्ञान के क्षेत्र में भारत की प्रतिष्ठा को स्थापित करने में मदद की. उनके सिद्धांतों और वर्गीकरण प्रणालियों का आज भी दुनिया भर के पुस्तकालयों में अध्ययन किया जाता है.



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