WELCOME TO KV AMBAH LIBRARY BLOG......केंदीय विद्यालय अम्बाह लाईब्रेरी ब्लॉग में आपका स्वागत है |.......

 

“पुस्तकालय हमारी शिक्षा प्रणाली की रीढ़ हैं।” करिन स्लॉटर

 

बिना किताबों के कमरा बिना आत्मा के शरीर के समान है|
 

रीडिंग चैलेंज करने के लिए ,यहाँ क्लिक करे/ Click here for attempt questions of chapters under The Reading Challenges 3.0

Friday, August 29, 2025

National Sports Day 2025

 29 अगस्त2025   मेजर ध्यानचंद & राष्ट्रीय खेल दिवस





मेजर ध्यानचंद (1905 – 1979)

जन्म : 29 अगस्त 1905, प्रयागराज (उत्तर प्रदेश)

असली नाम ध्यान सिंह था, लेकिन उन्हें रात को अभ्यास करने की आदत थी इसलिए लोग उन्हें "चंद" (चाँद) कहने लगे और वे “ध्यानचंद” कहलाए।

उन्हें हॉकी का जादूगर (Wizard of Hockey) कहा जाता है।

वे भारतीय हॉकी टीम के महान खिलाड़ी थे, जिनके खेल कौशल को देखकर विदेशी भी दंग रह जाते थे।

🏑 प्रमुख उपलब्धियाँ

1928 (एम्सटर्डम), 1932 (लॉस एंजेल्स), 1936 (बर्लिन) – लगातार तीन ओलंपिक में भारत को स्वर्ण पदक दिलाने में उनकी प्रमुख भूमिका रही।

400 से अधिक अंतर्राष्ट्रीय गोल किए।

1936 बर्लिन ओलंपिक में हिटलर ने भी उनके खेल को देखकर उन्हें जर्मन सेना में उच्च पद देने का प्रस्ताव दिया था, जिसे उन्होंने अस्वीकार कर दिया।

भारत सरकार ने उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया।

🏆 राष्ट्रीय खेल दिवस (National Sports Day)

तिथि : हर साल 29 अगस्त को मनाया जाता है।

यह दिन मेजर ध्यानचंद के जन्मदिन की स्मृति में मनाया जाता है।

🎯 महत्व

खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने और खेलों का महत्व बताने के लिए मनाया जाता है।

इस दिन राष्ट्रपति भवन में खेल क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को राष्ट्रीय पुरस्कार दिए जाते हैं, जैसे –

राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार (अब: मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार)

अर्जुन पुरस्कार

द्रोणाचार्य पुरस्कार

ध्यानचंद पुरस्कार

🌟 सारांश

मेजर ध्यानचंद → हॉकी के जादूगर, 3 ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता।

राष्ट्रीय खेल दिवस → 29 अगस्त को उनके जन्मदिन पर मनाया जाता है।

इस दिन खिलाड़ियों को उच्चतम खेल पुरस्कार दिए जाते हैं और खेलों के महत्व पर बल दिया जाता है।

Tuesday, August 12, 2025

12 August National Librarian's Day



डा. एस.आर. रंगनाथन, जिन्हें "पुस्तकालय विज्ञान के जनक" के रूप में जाना जाता है, एक प्रसिद्ध भारतीय पुस्तकालयाध्यक्ष और शिक्षाविद थे। उनका जन्म 12 अगस्त 1892 को तमिलनाडु के शियाली में हुआ था. रंगनाथन ने गणित में स्नातक और स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की, लेकिन बाद में पुस्तकालय विज्ञान में अपना करियर बनाया. उन्होंने पुस्तकालय विज्ञान के पांच नियमों और कोलन वर्गीकरण प्रणाली को विकसित किया, जो पुस्तकालय विज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान हैं. 

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा: एस.आर. रंगनाथन का जन्म 12 अगस्त 1892 को तमिलनाडु के शियाली में हुआ था. उन्होंने मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज से गणित में बीए और एमए की डिग्री प्राप्त की. 1917 में, उन्होंने शिक्षण लाइसेंस प्राप्त किया और गणित के प्रोफेसर के रूप में काम करना शुरू किया. 

पुस्तकालय विज्ञान में योगदान: 1924 में, रंगनाथन मद्रास विश्वविद्यालय के पहले पुस्तकालयाध्यक्ष बने. उन्होंने पुस्तकालय विज्ञान के पांच नियमों को विकसित किया, जो पुस्तकालयों के संचालन के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत हैं. उन्होंने कोलन वर्गीकरण प्रणाली को विकसित किया, जो पुस्तकालयों में पुस्तकों को वर्गीकृत करने का एक तरीका है. उन्होंने पुस्तकालय विज्ञान पर कई पुस्तकें और लेख लिखे, जिनमें "पुस्तकालय विज्ञान के पांच नियम" (1931) शामिल हैं. रंगनाथन को 1957 में भारत सरकार द्वारा पद्म श्री से सम्मानित किया गया था. 

अन्य महत्वपूर्ण योगदान: रंगनाथन ने दिल्ली विश्वविद्यालय में पुस्तकालय विज्ञान के स्नातक, स्नातकोत्तर और डॉक्टरेट कार्यक्रम शुरू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्होंने बैंगलोर में प्रलेखन अनुसंधान और प्रशिक्षण केंद्र (DRTC) की स्थापना में भी सक्रिय रूप से योगदान दिया. रंगनाथन को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी मान्यता मिली और वे अंतर्राष्ट्रीय प्रलेखन महासंघ (FID) के वर्गीकरण अनुसंधान समूह के अध्यक्ष रहे. 

मृत्यु: एस.आर. रंगनाथन का 27 सितंबर 1972 को बैंगलोर में निधन हो गया. 

विरासत: एस.आर. रंगनाथन को भारत में पुस्तकालय विज्ञान के जनक के रूप में जाना जाता है. उनके योगदान ने पुस्तकालय विज्ञान के क्षेत्र में भारत की प्रतिष्ठा को स्थापित करने में मदद की. उनके सिद्धांतों और वर्गीकरण प्रणालियों का आज भी दुनिया भर के पुस्तकालयों में अध्ययन किया जाता है. 

National Library Week Celebration 14- 20 November 2025

National Library Week 2025 (14 to 20 Nov. 2025) The National Library Week was celebrated with great enthusiasm in our school. The celebratio...